एक
ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ
चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रागैतिहासिक काल की गुफाओं, झरनों, उच्च शैल शिखरों व हैरान
करने वाली कंदराओं के बीच
चित्रकूट आज भी विश्वयुगीन समस्याओं के समाधान के केंद्र के रुप में विख्यात है। कर्मकांडीय
ब्राहमण हों या फिर राजसत्ता भोगने वाले- सभी यहां आकर नैसर्गिक प्राकृतिक हास्य को देखकर अपनी
सुधबुध खो बैठते हैं। शैव, शाक्य, वैष्णव, जैन, प्रणामी संप्रदाय के साथ ही बौद्धों की श्रद्धा का
केंद्र चित्रकूट आज भी अपने अतीत के वैभव को जीता सा दिखाई देता है।
राम जी जब चित्रकूट पहुंचे तो
यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर
अभिभूत रह गए इसी पावन भूमि पर राम और वाल्मिकी की भेंट भी हुई थी...कहते हैं वाल्मिकी ने ही राम को यहां रहने की
सलाह दी थी वैसे तो चित्रकूट का नाम
चित्रकेतु ऋषि के नाम पर पड़ा, लेकिन चित्रकेतु ऋषि के अलावा, ब्रह्मा जी के मानस पुत्र
अत्रि मुनि की तपोभूमि भी चित्रकूट रही है। भगवान श्री राम ने वनवास
के दौरान चित्रकूट में लगभग 11 साल का लंबा वक्त बिताया।
जिसमें माता सीता और लक्ष्मण जी भी उनके साथ थे। भगवान राम के चित्रकूट प्रवास के कारण
ये भूमि तीर्थ नगरी बन गयी।
चित्रकूट
धाम मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के
सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर-प्रदेश
में 38.2 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर
की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक
आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और
मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना
लगा रहता है।
मुगलिया
सल्तनत के दौरान शहंशाह अकबर के दरबार के नौरत्नों में से प्रमुख संगीत सम्राट तानसेन व राजा
बीरबल का संबंध भी यहां से रहा है। वैसे तो मुगल शासक औरंगजेब हिंदुओं के
मंदिर तुड़वाने और धार्मिक कट्टरता के लिए बदनाम रहा। लेकिन भगवान श्रीराम की
तपोस्थली चित्रकूट के मंदाकिनी तट पर 'बालाजी मंदिर' बनवाकर उसने धार्मिक सौहार्द
की मिसाल भी कायम की थी। रहीमदास ने भी कहा कि विपदा पड़ने पर लोग इस
भूमि पर जरूर आते हैं। आस्था यहां के पत्थर-पत्थर
में बसती है।
चित्रकूट
में रम रहे, रहिमन अवधनरेश
जा पर विपदा पड़त है, वही आवत यही देश।
जा पर विपदा पड़त है, वही आवत यही देश।
धर्मशास्त्रों
में तीर्थों का राजा प्रयाग को कहा जाता है लेकिन तीर्थों का तीर्थ चित्रकूट धाम को ।
चित्रकूट धाम में प्रमुख दर्शनीय स्थल - कामदगिरी पर्वत , रामघाट , जानकी कुण्ड , अनसुइया अत्री आश्रम , गुप्त गोदावरी , हनुमान धारा , स्फटिक शिला , भरतकूप आदि हैं ।
चित्रकूट धाम में प्रमुख दर्शनीय स्थल - कामदगिरी पर्वत , रामघाट , जानकी कुण्ड , अनसुइया अत्री आश्रम , गुप्त गोदावरी , हनुमान धारा , स्फटिक शिला , भरतकूप आदि हैं ।
आवागमन
वायु
मार्ग
चित्रकूट
का नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किमी. दूर है।
रेल
मार्ग
चित्रकूट
से 8 किमी. की दूरी कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है।
इलाहाबाद, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा आदि शहरों से यहां के
लिए रेलगाड़ियां चलती हैं।
सड़क
मार्ग
चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस
सेवाएं हैं।
टूर
पैकेज, ठहरने एवं अन्य सुविधाओं के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग
या मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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