ब्रजभूमि - मोक्ष की ओर...


एक पुरानी कहावत है कि ' ब्रजहिं छोड़ बैकुंठउ न जइहों। यह स्पष्ट है कि जो एक बार ब्रजभूमि के रंग में रंग गया तो उसे स्वर्ग भी जाने की इच्छा नहीं है। इतनी सशक्त आध्यातिमक तथा सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश है ब्रज धाम। ब्रजभूमि सदैव ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। यहाँ पर आने वाले सैलानी अपने आप को यहाँ की सांस्कृतिक एवं एतिहासिक आभा से अछूता नही रख पाते हैं जो कि जीवन पर्यन्त उन्हें इस स्थान की याद दिलाती है। चाहे वो यहाँ के उत्सव त्यौहारों का आनन्द लेना हो या कृष्णभकित रूपी अमृत को ग्रहण करना हो सभी एक आलौकिक सुख की अनुभूति कराता है। 


मथुरा-वृन्दावन इस ऐतिहासिक भूमि का मुख्य केन्द्र है। मथुरा नगरी श्री कृष्ण जन्मभूमि के रूप में विख्यात है तो दूसरी तरफ सम्पूर्ण ब्रज जनपद श्रीकृष्ण की मनोहर लीलाओं की क्रीड़ा भूमि रही है। ब्रज के इतिहास में श्रीकृष्ण का समय बड़े महत्व का है। इसी समय में प्रजातंत्र और नृपतंत्र के बीच कठोर संघर्ष हुआ, मगध राज्य की शक्ति का विस्तार हुआ और भारत का वह महान भीषण संग्राम हुआ जिसे ' महाभारत ' का युद्ध कहते हैं । कृष्ण भकित में डूबे सूरदास, मीरा, रसखान के भजन आज भी ब्रज के वातावरण में गूँजते हैं।


आज के परिवेश में यह ब्रज भूमि उत्तर दिशा में पलवल (हरियाणा), दक्षिण ग्वालियर (मध्य प्रदेश), पश्चिम  में भरतपुर (राजस्थान) और पूर्व में एटा (उत्तर प्रदेश) को छूती है। मथुरा में प्रमुख दर्शनीय स्थल श्री कृष्ण जन्मभूमि, द्वारिकाधीश मंदिर , अनेकों घाट एवं कुण्ड है।
यहाँ से 15 किमी. की दूरी पर स्थित वृन्दावन धाम भी पर्यटकाें के लिए रमणीय स्थल है। यहाँ पर श्री राधा कृष्ण मंदिर की विशाल संख्या है। यहाँ पर बाँके बिहारी जी मंदिर , इस्कान मंदिर, निधि वन आदि दर्शनीय स्थान है।
इसके अतिरिक्त ब्रज मंडल में स्थित गोकुल, महावन, बलदेव, गोवर्धन, बरसाना, नन्दगाँव आदि यहाँ के वैभव को संजोये हुए हैं।
यदि आप मिठाइयों के शौकीन है तो ब्रज में आप खुद को मुँह में पानी आने से रोक नहीं पाएगें। मथुरा के पेड़े, नौझील के मालपुवा, सोहन हलवा, दूध की रबड़ी सभी यहाँ की खासियत है ।


साल भर होने वाले कर्इ उत्सव एवं त्यौहार सदैव ही पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय बने रहते है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा सम्पूर्ण ब्रज में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित रासलीला का भी भव्य आयोजन किया जाता है। यहाँ की लटठमार होली में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। 12 वन तथा 24 उपवन से होकर जाने वाली 84 कोस परिक्रमा में लाखों लोग शामिल होते हैं।
  पर्यटन के औचित्य से ब्रज आने को उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च तक रहता है। यहाँ पर ठहरने के लिए आप अपने सुविधानुसार धर्मशाला, आश्रम या होटल चुन सकते हैं। मथुरा तथा वृन्दावन दोनों ही स्थानों पर यह सुविधाएँ उपलब्ध हैं।


उत्तर मध्य रेलवे में स्थित मथुरा जंक्शन एवं मथुरा कैण्ट विभिन्न प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है जैसे कि दिल्ली, लखनऊ, आगरा, जयपुर, ग्वालियर आदि। मथुरा सभी बड़े शहरों से राष्ट्रमार्गों के द्वारा जुड़ा हुआ है। यहाँ पर भूतेश्वर बसअडडा एवं पुराना बस स्टैंड से बस द्वारा जाया जा सकता है। इसके अलावा शहर के अन्दर घूमने के लिए टेम्पों, टैक्सी, रिक्शा, ताँगा उपलब्ध हैं।
कई प्राइवेट ट्रेवल कंपनियाँ ब्रज टूर पैकेज उपलब्ध कराती हैं । या फिर आप उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।


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Comments

  1. आपका ब्लॉग बहुत जानकारीपूर्ण, अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण है। एक ट्रैवलर ब्लॉगर होने के नाते, मुझे लगता है कि आपके पास बहुत अच्छा लेखन अर्थ है, जिसके कारण आप बहुत से विवरणों के बारे में बताते हैं| हमारे साथ साझा करने के लिए धन्यवाद
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