मार्क त्वाँ ने जब वाराणसी के सांस्कृतिक वैभव
को देखा तो बोला – निश्चय ही बनारस इतिहास से भी प्राचीन, संस्कृति से पहले, पुराण से भी पुराना और यदि इन सब को एक साथ समाहित कर दिया जाये फिर
भी इन सबसे दो गुना प्राचीन प्रतीत होता है।
आश्चर्य की बात यह है कि इस नगर ने आज भी अपनी
उसी सांस्कृतिक माला को पिरोकर रखा है और एक भी मोती टूटने नही दिया है। वाराणसी
प्राचीन काल से ही विभिन्न मत-मतान्तरों की संगम स्थली रही है। विधा के इस पुरातन
और शाश्वत नगर ने सदियों से धार्मिक गुरूओं, प्रचारकों ए वं सुधारको को अपनी अपनी ओर आकृष्ट किया है। चाहे वह
भगवान बुद्ध, शंकराचार्य, रामानुज, संतकबीर, गुरूनानक, तुलसीदास, चैतन्य, महाप्रभु, रैदास हो सभी
किसी ना किसी प्रयोजन हेतु इस देव से नगरी जुड़े रहे। वाराणसी जो कि दो नदियों वरूणा और असी
के समायोजन से बना शब्द है अपितु प्राचीन समय से इसे काशी एवं बनारस नाम से भी
जाना जाता है।
घाट पर पड़ने वाली सूर्य की पहली किरणें, मंदिर की घंटियों का मधुर संगीत, बनारस की गलियों की वो चहलकदमी, यहाँ के उधोग धन्धे, शैक्षिक वातावरण और बहुत कुछ इस नगर को विश्व भर
में कला, संस्कृति , साहित्य, ज्ञान के विविध
क्षेत्रों में एक अलग पहचान दिलाता है। यही कारण है कि विदेशी पर्यटक आगमन का
प्रतिशत अन्य पर्यटन स्थलों की तुलना में वाराणसी का ही अधिक रहता है। देश भर के विभिन्न
राज्यों से भी लाखों की संख्या में पर्यटक हर साल यहाँ घूमने के लिये आते हैं।
गंगा नदी के तट पर बसे इस शहर को ही भगवान शिव
का इस पृथ्वी पर स्थायी निवास बताया जाता है। वाराणसी के लोगों के अनुसार यहाँ कण
कण में शिवजी विधमान हैं। यहां पूजा अर्चना के लिये हर गली में आपको छोटे-छोटे
मनिदर मिल जायेंगे। कुछ प्रमुख मंदिरों में काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, दुर्गाजी का मंदिर, संकटमोचन मंदिर आदि आते है। काशी के घाट धनुष के आकार में प्रतीत होते
हैं। यह उत्तर दिशा में राजघाट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में असी घाट तक सौ से अधिक
घाटों की श्रृंखला है। इनमे असी घाट, केदार घाट, दशाश्वमेध घाट, चौसठी घाट, आदि प्रमुख है। जन्तर मन्तर, रामनगर किला एवं सारनाथ (बौद्ध स्थल) भी यहां के रमणीय स्थान है।
वाराणसी कला, हस्तशिल्प, संगीत और नृत्य
का भी केन्द्र है। यह शहर रेशम, सोने व चांदी
के तारों वाली ज़री के काम, लकड़ी के
खिलौने, काँच की चूडि़याँ तथा पीतल के काम के लिये जाना
जाता है। यहाँ की बनारसी साड़ियाँ विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। वाराणसी ने सम्पूर्ण
विश्व में अपनी ख्याति के झण्डे गाड़े हैं चाहें वो यहाँ का बनारस घराना हो या
मुन्शी प्रेमचंद का साहित्य हो या फिर पं मदन मोहन मालवीय की प्रेरणा सुप्रसिद्ध
काशी हिन्दू विश्वविधालय हो, उस्ताद
बिसिमल्लाह खान की शहनार्इ हो, रवि शंकर का
सितार हो, सभी ने वाराणसी का विश्व पटल पर एक नया
कीर्तिमान स्थापित किया है।
यहां पर साल भर तीज त्यौहारों का दौर चलता रहता
है। कुछ प्रमुख त्यौहार भरत मिलाप, बुद्ध पूर्णिमा, देव दीपावली, हनुमान जयन्ती, महाशिवरात्रि, नाथ नथैया, रामलीला आदि है।
यहाँ पर आने वाले पर्यटक बनारसी पान, कचौड़ी सब्जी, पापड़ी चाट और ठंडार्इ का खूब लुत्फ उठाते हैं। यदि आप यहां के वातावरण
में रंगना चाहते हैं तो मुँह में बनारसी पान दबाकर गले में यहाँ का प्रसिद्ध गमछा
डालकर थोड़ी भोजपुरी बोल लें तो आप बनारसी बाबू ही प्रतीत होंगे। यदि आपको छोटी
मोटी खरीददारी करनी है तो चौक, ज्ञानव्यापी मस्जिद
गली, ठठेरी बाजार, गोदोलिया, दशाश्वमेध गली, गोलघर उपयुक्त हैं।
उ0प्र0 पर्यटन विभाग एवं कई प्राइवेट ट्रेवल
कम्पनियाँ वाराणसी के टूर पैकेज उपलब्ध कराती हैं।
hy
ReplyDeleteThanks for sharing this article we provide cab service all over India please contact us.
ReplyDeleteCorporate CAR Rental Service
Varanasi is the holy city in India and most beautiful place.
ReplyDeleteJim Corbett Resorts Packages | Jim Corbett Safari | top resorts in jim corbett